आँखों में लहू दिल में जो कांटा नहीं होता
आँखों में लहू दिल में जो कांटा नहीं होता फिर तुमसे अदावत का इरादा नहीं होता इतना तो बताओ कि सियासत तेरे घर में क्यों रात
आँखों में लहू दिल में जो कांटा नहीं होता फिर तुमसे अदावत का इरादा नहीं होता इतना तो बताओ कि सियासत तेरे घर में क्यों रात
नए रिश्तों के अंदाज-ए बयां से दरारें कम न होंगी आशियाँ से मेरे पैरों में कितने हैं फफोले किसी दिन पूछ लेना आसमाँ से
स्मृति से अधिक महत्वपूर्ण है विस्मृति विस्मृति से बड़ा मरहम और कुछ नहीं। ‘याद कीजिए पापा...’ बेटा सामने खड़ा था और उनसे कह रहा था।
कि आँखों में आँसू को मलना पड़ा था उसे जब सँवर के निकलना पड़ा था जमाने की वहशी नजर लग न जाए जरूरत का दामन बदलना पड़ा था
घर जिसने किसी गैर का आबाद किया है शिद्दत से आज दिल ने उसे याद किया हैजग सोच रहा था कि है वो मेरा तलबगार मैं जानता था उसने ही बरबाद किया हैतू ये ना सोच शीशा सदा सच है बोलता जो खुश करे वो आईना ईजाद किया है
अपने विषय में सोचता हूँ तो पाता हूँ कि मेरा जन्म जगराँव (पंजाब) में हुआ। जगराँव या पंजाब से मेरा इतना ही नाता है कि मैं वहाँ पैदा हुआ और अपने जीवन के पहले नौ वर्ष पंजाब के अलग अलग उन शहरों में बिताए–जहाँ जहाँ, मेरे पिता का तबादला होता रहा।