तेजेंद्र शर्मा का सृजन-संसार
कथाकार तेजेंद्र शर्मा का रचनात्मक व्यक्तित्व इतना सम्मोहक है कि हम उनसे दूर रहना भी चाहें, तो वे हमारी ओर बाँहें पसार मुक्तकंठ गा उठते हैं–‘जो तुम न मानो मुझे अपना, हक तुम्हारा है/यहाँ जो आ गया इक बार, बस हमारा है!’ कथाकार तेजेंद्र शर्मा के सृजन-संसार को ‘नई धारा’ का सलाम!