मुल्क में हवाला है
मुल्क में हवाला है आदमी किवाला हैख्वाब का समुंदर है लूटता निवाला हैदर्द अब जमाने में हर कदम रिसाला हैआजकल बहारा यूँ दीखती उजाला हैथामकर मशालों को हर जगह मलाला है
मुल्क में हवाला है आदमी किवाला हैख्वाब का समुंदर है लूटता निवाला हैदर्द अब जमाने में हर कदम रिसाला हैआजकल बहारा यूँ दीखती उजाला हैथामकर मशालों को हर जगह मलाला है
शब्दों में छिपा अर्थ ही उन्हें बनाता है मूल्यवान शब्दों की सत्ता तभी तक है सार्थक जब तक दूसरे को न पहुँचे ठेस
कृष्णा सोबती ने पाशो की रचना के जरिये स्त्री जीवन के समक्ष जीवन से मौजूद खतरों और उसकी विडंबनाओं को रेखांकित किया है।
प्रो. श्यौराज सिंह ‘बेचैन’ का जीवन संघर्ष प्रत्येक उस व्यक्ति के लिए अनुकरणीय है जो संघर्ष करते हुए तमाम झंझावातों से टकराते हुए
आँख से आँख मिलाती है आग से मगर पति की आँख का सामना वह नहीं कर पाती आँख झुका कर बैठती है वह पति के सामने उसका अन्नदाता जो है वह
जब हम सेमल के फूल के बीच में सोए थे याद है ना तुम्हें तब पुकारा था तुमने तब काँटों वाले लाल गुलाब भी खिल उठे थेहम पानी पर चलते