सँकरी सड़क

सभी सड़कें चौड़ी हैं या चौड़ी कर दी गई हैं, सिर्फ यही सड़क सँकरी है हमेशा जाम लगा रहता है, ट्रॉफिक वालों का पसीना छूटता है इसे नियंत्रित करने में

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1857 : एक प्रेम कथा

भाग जाना! घर से भाग जाना...ऐसा तो उन्होंने प्रेम के उस शिखर पर भी नहीं सोचा था, जब वे मिलने के लिए रात-रात भर रोया करते थे। वे बुलाते थे, रज्जो सुनती नहीं थी। अब ऐसा क्या हुआ? ईसुरी की अनुराग-भरी आँखों में ऐसा आहत भाव उभरा कि एकदम चुप्पी-सी साधे देर तक बैठे रहे। उनके मित्र धीरे पंडा भी व्याकुल हो गए। वे जानते थे, ईसुरी ने रज्जो से ब्याह नहीं किया, गर मन से मन का वरण तो हुआ है।

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अहसासों के जलतरंग

अहसासों के जलतरंग को पुरबा छेड़ गई। आँगन में– खिलती खिलती निशिगंधा भी स्वच्छंद हुई।किरणों के झुरमुट में उलझी चिड़िया सी चितवन पूनम फिर-फिर रूप निहारे झील बनी दर्पण।

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देशभक्ति

‘राष्ट्रीयता से क्या होता है। भारत में जन्म लेनेवाले सारे लोगों ने गीता पढ़ी है क्या? कालिदास और बाणभट्ट को पढ़ा है? नहीं न।’ स्वामी हँंसे, ‘वैसे मैं यह भी कह सकता था कि आप सेना में थे और शायद सैनिक लोग साहित्य नहीं पढ़ते।...चलिए शीयौं का किला देख आएँ। उसे देख कर आपको अच्छा लगेगा।

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बिका हुआ घर

सहज नहीं होता बचपन, यौवन और बुढ़ापा किसी घर-आँगन में छोड़ बिना मुड़े निकल जाना गोबरलिपी ज़मीन की गंध खपरैलों में बसे घोंसलों में गौरैया के अंडे दरकती दीवारों में

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