तसल्ली हो भी जाएगी तो हैरानी न जाएगी

तसल्ली हो भी जाएगी तो हैरानी न जाएगी किसी को ग़म सुनाने से परेशानी न जाएगीअदाकारी अगर सीखी नहीं तो मात खाओगे

और जानेतसल्ली हो भी जाएगी तो हैरानी न जाएगी

धो रहे हैं खूँ से खूँ के दाग़ नंदीग्राम में

धो रहे हैं खूँ से खूँ के दाग़ नंदीग्राम में बुझ सकेगी आग से क्या आग नंदीग्राम में छिन गया है चैन सकते में है मेहनतकश किसान

और जानेधो रहे हैं खूँ से खूँ के दाग़ नंदीग्राम में

होली

साजन, होली आई है! सुख से हँसना, जी भर गाना मस्ती से मन को बहलाना मस्ती से मन को बहलाना पर्व हो गया आज– साजन, होली आई है हँसाने हमको आई है!

और जानेहोली

अकेले आदमी की लौ

यह दुनिया शिलाखंड-सी... मगर वह आदमी अकेला तब भी रास्तों पर चल रहा होगा। वह गल रहा होगा हर लौ में सोये वक्त को जगाता हुआ।तुम नहीं कह सकते कि बंदूकों ने आदमी की लौ छीन ली है।

और जानेअकेले आदमी की लौ

जीवन के रंग

अमलतास हो या हो गुलमोहर फूले या ना फूले, हम दोनों जीवन के रंग को इंद्रधनुषी बनाएँ औरों को भी जीने और जीने देने का पाठ-पढ़ाएँ!

और जानेजीवन के रंग

मैं सरकार नहीं हूँ

मैं अपने परिवार का दुःख किसी को नहीं बताता मरा नहीं है मेरी आँखों का पानी मैं अपना काम आप करता सदियों से हूँ वहाँ जहाँ कोई सरकार नहीं!

और जानेमैं सरकार नहीं हूँ