कर्त्तव्य

लाचारी कही जाए तो तो मैं ऐसी लाचारी का काम हर किसी के लिए करता रहूँगा! मानवीय मूल्यों की रक्षा के लिए प्रेरित करना हर किसी का कर्तव्य है!

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एक मटमैला ताबीज

मैं उसे निज़ामुद्दीन की दरगाह के आसपास देखता हूँ काम की तलाश में मैं पूछना चाहता हूँ भाई किस देश के होबस सीने पर पड़ा एक मटमैला ताबीज है जैसे कुछ बुदबुदाता वह कुछ भी बताने से इतना झिझकता क्यूँ है?

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एक दुनिया बसाएँ

एक नई दुनिया बसाएँ जहाँ न हो आतंक का भय न हो किसी तरह का डर नहीं मिले जहाँ प्रदूषण का जहर!जहाँ मिले भगवान बुद्ध की ज्ञान-शांति भगवान महावीर की अहिंसा गुरुनानक का भाई-चारा

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मैं पार्क में घूम रहा था

शाम के 7 बजे मैं पार्क में घूम रहा था अजीब सी चहल-पहल अजीब सा शोर मानो शादी-ब्याह की सज-धज रोज़ की तरह मैं सुन रहा था चिड़ियों का मद्धिम संगीत

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समकालीन कविता : परिवेश और मूल्य

हमें यह कहने में सकुचाहट नहीं कि युवा कवि राजकिशोर राजन का काव्य-परिवेश, प्रकृति और मानवीय अंतर्संबंधों के यथार्थ के मध्य दुर्निवार दुःख-तंत्र और उसके अंतःसंघर्ष की वह काव्य-कथा है जो सहज भाषा में लोकजीवन की संश्लिष्ट और अविकल अर्थ-छवियाँ रचती हैं।

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कब्रगाह में रोने की जगह

कब्रगाह में रोने की जगह अब वे युद्ध के मैदानों में हैं उनके हाथों में हथियार चमकते रहते हैं मातम को छोड़कर अब मर्दों की तरह वे आजादी के सिर्फ स्वप्न देखती हैं रात-दिन।

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