मि. टम्बरिन मैन
मालूम है मुझे कल के महलआज बिखरे राखों में पड़ेधुएँ के फाहे सेअँधे कुएँ में पड़ा मैं, गायब नींद हैपस्त मेरे हौसले, मेरी खामोश चीख सेन मिलना बाकी किसी सेजमीनें इतनी सूखी, न सपने उगे
मालूम है मुझे कल के महलआज बिखरे राखों में पड़ेधुएँ के फाहे सेअँधे कुएँ में पड़ा मैं, गायब नींद हैपस्त मेरे हौसले, मेरी खामोश चीख सेन मिलना बाकी किसी सेजमीनें इतनी सूखी, न सपने उगे
कहावत है न, ‘आयल पुन आयल दुःख कमाये लागल पुन, भागल दुःख।’ फिर तो दोनों ठहाका लगाकर हँसे थे। पाँच-पाँच बच्चे, फिर भी ठहाका! जैसे लड़के सब कमासुत हों...।
‘मुहब्बत ने काढ़ा है जुल्मत से नूर न होती मुहब्बत न होता जहुर मुहब्बत मुहब्बत मुहब्बत सबब मुहब्बत से आते हैं कारे–अजब।’
उन पर धूल जम रही है और भनभनाती मक्खियाँ हैं आसपासअमित संस्कार के लिए नहीं है कोई सिवाय गिद्धों के और गिद्धों ने शुरू कर दिया है अपना काम।
वह तो एक आम नेक पुत्री-सी नित्य हाथ जोड़ पिता की आत्मा हेतु न्याय पाने हेतु नित्य प्रार्थना करती है। उसे यह नहीं ज्ञात है कि उसे कितने-कितने समय बाद न्याय मिलेगा या फिर मिलेगा भी कि नहीं!
संग्रह की कहानियाँ प्रायः घटना-प्रधान हैं और रचनाकार कथानुरूप परिवेश निर्मिति में पारंगत है। किस्सागोई इनकी खासियत है। कुछ कहानियाँ ऐसी भी हैं जिनमें एक-दो पात्र नहीं, बल्कि पात्रों के समूह हैं और उस सामूहिकता में ही रचना अपने मकसद तक पहुँचने में कामयाब होती है।