अम्बेदकर और दलित हिंदी कविता
बेडकर और दलित हिंदी कविता Dr._Babasaheb_Ambedkar_and_his_signature- Wikimedia Commons

अम्बेदकर और दलित हिंदी कविता

‘स्वातंत्र्योत्तर हिंदी कविता और नए रचनात्मक सरोकार’ पर विचार करती हूँ तो सबसे पहले यह सवाल खड़ा होता है कि स्वातांत्र्योत्तर हिंदी कविता के नए रचनात्मक सरोकार क्या रहे हैं?…

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नई धारा संवाद : अलका सरावगी से बातचीत

पसंद तो ज्यादा उपन्यास पढ़ना ही है पर असल में उपन्यास उतने नहीं पढ़े जाते हैं जब तक कि वो...जैसे अब ‘रेत समाधि’ पर रिव्यू लिखना था,

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 तौबा
तुम्हें तो पता होना चाहिए कि असम के बराक क्षेत्र में साठ के दशक में कुछ बंगाली युवाओं ने इसी बंगला भाषा के लिए अपनी शहादत तक दी थी। और उसके प्रभावस्वरूप असम में बंगला भाषा को भी राजभाषा के रूप में मान्यता मिली थी।’

तौबा

तुम्हें तो पता होना चाहिए कि असम के बराक क्षेत्र में साठ के दशक में कुछ बंगाली युवाओं ने इसी बंगला भाषा के लिए अपनी शहादत तक दी थी। और उसके प्रभावस्वरूप असम में बंगला भाषा को भी राजभाषा के रूप में मान्यता मिली थी।’

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असम के प्रकृति-बंधु ‘मागध’

पुनश्च मेरे द्वारा संपादित पुस्तक–‘महिला सशक्तिकरण : कल, आज और कल’ में मागध जी ने मुझे दो आलेख दिए। पहला आलेख–‘नारी का सबलीकरण और शिक्षा’ तथा दूसरा आलेख–‘महिला के पर्यायवाची’ शब्द शामिल है।

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 हो तो हो
Image name: A stream with dam in Auvergne Image Source: WikiArt Artist: Theodore Rousseau This image is in public domain.

हो तो हो

आश्चर्य किया करते थे क्या तुमने नहीं देखा उन जिद्दी पौधों को जो चट्टानों की दरारों में

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