राजनीती
तुमने कहा तुम खुली किताब हो और मैंने मान लिया तुमने कहा तुम झूठ नहीं बोलते और मैंने मान लिया पर जब मैंने कहा मैं आजाद पंछी हूँ
तुमने कहा तुम खुली किताब हो और मैंने मान लिया तुमने कहा तुम झूठ नहीं बोलते और मैंने मान लिया पर जब मैंने कहा मैं आजाद पंछी हूँ
एक माँ की ममता और वट वृक्ष की जड़ें बहुत गहरी होती हैं तभी तो वे सिर्फ सहारा देना जानती हैं जिसकी गहराई
बड़ी ढीठ होती हैं लड़कियाँ हर रिश्ते में रिसता जाता है इनका स्वाभिमान भींग जाती है वह समूची पर हार नहीं मानती।
अंग देश में एक सभ्यता का जन्म हुआ, जिसे अपने व्रात्यकांड में अथर्ववेद ने व्रात्य सभ्यता के नाम से चिह्नित किया।
मेरा यह सौभाग्य रहा है कि मैं अभी तक लघुकथा के प्रायः सभी महत्त्वपूर्ण संकलनों का एक उल्लेखनीय हिस्सा रहा हूँ।
जिंदगी की कहानी रही अनकही दिन गुजरते रहे, साँस चलती रही।अर्थ क्या, शक्क की अनमने रह गए कोष से जो खिंचे तो तने रह गए वेदना अश्रु-पानी बनी, बह गई धूप ढलती रही, छाँह छलती रही!