जन से जुड़ी कविताओं का वह दौर
कवियों को रात-रात भर लोग सुनते थे। शायद ये अच्छा भी था और बुरा भी। जब पूरी रात कोई कवि बैठा रहेगा और लगातार कविताएँ सुनाएगा तो वह लोगों की आदत भी खराब करेगा।
कवियों को रात-रात भर लोग सुनते थे। शायद ये अच्छा भी था और बुरा भी। जब पूरी रात कोई कवि बैठा रहेगा और लगातार कविताएँ सुनाएगा तो वह लोगों की आदत भी खराब करेगा।
कोरोना महामारी ने विश्व को हिला डाला है। पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था चौपट हो गयी है। लोग दहशत में हैं और मास्क लगाना ‘न्यू नोर्मल’ बन गया है तो जरूरी इस बीमारी के बचाव के साथ साथ यह जानने की–कि कोरोना हो जाने के बाद इससे बिना अस्पताल में भर्ती हुए आप घर पर भी कैसे ठीक हो सकते हैं। इन दिनों दक्षिण अफ्रीका में कोरोना का भयानक प्रकोप है।
डॉ. मिश्र में संबंधों के निर्वाह की धारणा प्रबल थीं। वे प्रत्येक स्थिति में संबंधों को प्राथमिक तौर पर महत्त्व देते थे। मेरे सुपुत्र की पीएच.डी. की थीसिस के मूल्यांकनकर्ता थे। अब तक वे गुजरात के आनंद पहुँच चुके थे।
यदि ‘पतितगण’ किताब लिख सकते हैं या पत्रिका का संपादन कर सकते हैं तो पतिताएँ क्यों नहीं कर सकतीं?
जब तक आप कविता लिखते रहते हैं न जाने आपने ध्यान दिया है कि नहीं– फन फैलाए साँप घूमता ही रहता है आसपास फुफकारते हुए सृजन के क्षणों को डंसने की जन्म लेते ही अक्षर को मारने की भरसक कोशिश करते हुए
इस अराजकता से मुक्ति के द्वारा सामाजिक शांति-सद्भाव के लिए मक्खलि गोसाल के दर्शन को समझना जरूरी है।