खत्म न होने वाला सफर
मनौतियाँ, साष्टांग प्रणाम, प्रार्थनाएँ इन्हीं में पाते हैं शांति भगवान का ध्यान करते हैं पर साथी मनुष्य पर नहीं देते ध्यान।
मनौतियाँ, साष्टांग प्रणाम, प्रार्थनाएँ इन्हीं में पाते हैं शांति भगवान का ध्यान करते हैं पर साथी मनुष्य पर नहीं देते ध्यान।
वह और उनके मित्रों ने मिलकर ‘चोंच पंथ’ कायम किया। जब वे लोग आपस में मिलते, तो दाहिने हाथ को चोंच की तरह बनाकर अभिवादन करते।
राधिका बाबू नाटककार भी थे। उनके उपन्यासों में ऐसे कई स्थल मिलेंगे जहाँ नाटकीय संवाद फिल्मी डायलॉग को भी मात करते हैं। नाटकीय परिस्थिति की अच्छी पकड़ और निर्वाह उपन्यासों में भी देखा जा सकता है।
सही गलत पर अड़ा हुआ है जो रातभर में बड़ा हुआ हैअभाव में जब स्वभाव बदला उदार दिल भी कड़ा हुआ हैवो दौड़ने का सिखाता नुसखा अभी-अभी जो खड़ा हुआ हैधरा बताती उखाड़ लेना
पाँव जमीं पर रख देने से, घरती-पुत्र नहीं होताचंदन को घसना पड़ता है, पौधा इत्र नहीं होतादुनिया चाहे कुछ भी कर ले, कह ले
चाहे हकमारी करेगा या कलाकारी करेगादेखना जल्दी ही कोई घोषणा जारी करेगाआपका विश्वास शायद कुछ तो गद्दारी करेगा