तवायफ माँ
उसके अंदर की माँ जगी तो तवायफ का अंत हो गया और माँ ने बच्चों के लिए अपना बलिदान कर दिया। गोपाल और राधिका फूट-फूटकर रोने लगे।
उसके अंदर की माँ जगी तो तवायफ का अंत हो गया और माँ ने बच्चों के लिए अपना बलिदान कर दिया। गोपाल और राधिका फूट-फूटकर रोने लगे।
उसके मन में पहले असहमति ने जन्म लिया फिर उसने उस भाव को झटका और अंततः स्वीकृति में सिर हिला दिया।
पाप-पुण्य के फेर में पड़ते जा रहे सीमांत को पुजारी घर से बाहर आते-जाते वक्त ‘कलम का पाप’ याद दिलाता रहता।
बड़े-बड़े कवि, लेखकों को धमका देना नवल की फितरत में था। वह बातचीत में बहुत मुखर और बतरस का बादशाह था।
हमें नई शिक्षा-नीति के प्रति विश्वास रखते हुए भारतीय शिक्षा व्यवस्था को विश्वस्तरीय करने की दिशा में कदम बढ़ाने ही होंगे।
अपने जर्जर शरीर को सँभाल नहीं सके गाँधी जी वहीं गिर पड़े हैं गाँधी जी, बा उठा रही हैं उनको, लेकिन गाँधी जी, उठ नहीं रहे हैं!