नंदकिशोर नवल एक राजनीतिक आलोचक
डॉ. नवल ने लिखा–‘हिंदी का क्षेत्र बहुत विस्तृत है, लेकिन अभी उसमें आलोचना की एक भी उल्लेख योग्य पत्रिका प्रकाशित नहीं हो रही
डॉ. नवल ने लिखा–‘हिंदी का क्षेत्र बहुत विस्तृत है, लेकिन अभी उसमें आलोचना की एक भी उल्लेख योग्य पत्रिका प्रकाशित नहीं हो रही
रेणु की कहानियों का परिवेश और प्रकृति दर्शाता है कि ‘रेणु’ में बचपन से ही कहानी गढ़ने की कला थी।
पुस्तकें कभी समाप्त नहीं होंगी। एक तात्कालिकता है, जो चिरंतन नहीं हैं। लोग लौटेंगे, पुस्तकों की ओर लौटेंगे।
स्त्रियों को शिक्षा और जागृति की ओर ले चलने का उपाय करना चाहिए न कि उनकी निजता में ताक झाँक करनी चाहिए।
कविता में वसंत विविध रूपों में आता है। समकालीन कविता में कवियों ने युगीन यथार्थ को वसंत के माध्यम से व्यक्त किया है।
कवि की प्रतिष्ठा थी अपने चहेतों से वे घिरे थे उन्हें पुरस्कारों से नवाजा जाता था उनकी बातें सुनी जाती थीं तालियाँ बजती थीं फिर हवा में उड़ा दी जाती थीं