कोरोना काल में साहित्य के सरोकार

कोरोना-काल में ही सबसे ज्यादा साहित्य पर लगाव दिखा। वास्तव में साहित्य के सरोकार के बिना कोई काल नहीं होता।

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जोतीबा फुले और किसान समस्या

जोतिबा के शब्दों में–सरकारें किसानों को लेकर तभी ठोस-कदम उठाएँगी, जब किसानों का कोड़ा सरकार और निज़ाम की पीठ पर पड़ेगा।

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रेणु का लोकराग

रेणु के लेखन में बिहार झलकता है। वहाँ का लोकजीवन, लोक-भाषा, लोक-संस्कृति सबका रूपायन रेणु के कथा साहित्य की विशेषता है

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रेणु की भाषा और सरोकार

रेणु के सरोकार बहुजन समाज के सरोकार हैं, उनकी भाषा बहुजन समाज की भाषा है जो हमें सकारात्मकता से भर देते हैं।

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एक पुनर्चिंतन : हिंदी साहित्य का आदिकाल

हिंदी साहित्य का भक्ति युग भारतीय साहित्य का श्रेष्ठतम रूप उपलब्ध कराता है। भक्ति प्रधान पौराणिक-आख्यान और अद्वैतवादी चिंताधारा

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कविता रहेगी

उसे क्या पता है कि एक आदमी खत्म हो सकता है जीवन खत्म नहीं हो सकता एक कवि मर सकता है मारा जा सकता है कविता कभी मर नहीं सकती उसका लिखा जाना प्रतिबंधित किया जा सकता है

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