युद्धबंदी दूसरे नुस्खों से मारे जाएँगे
युद्धबंदी दूसरे नुस्खों से मारे जाएँगे नर्क क्या, वे शत्रु शहरों से गुजारे जाएँगेशहर पर हमला हुआ है आप चिंता मत करें जो यहाँ जिंदा हैं, केवल वे ही मारे जाएँगे
युद्धबंदी दूसरे नुस्खों से मारे जाएँगे नर्क क्या, वे शत्रु शहरों से गुजारे जाएँगेशहर पर हमला हुआ है आप चिंता मत करें जो यहाँ जिंदा हैं, केवल वे ही मारे जाएँगे
इस पुरस्कार समारोह में उपस्थित न हो पाने का मुझे उतना ही दुःख हो रहा है जितना कि भाई के विवाह में मायके न पहुँच पाने की पीड़ा किसी विवाहित बहन को ताउम्र सालती होगी। पर, मेरे लेखन में आप सबकी कृपादृष्टि, आशीर्वाद और मार्गदर्शन निरंतर बना रहे–यही कामना करती हूँ।
कहीं वे कर न लें सबके यकीन पर कब्जा जिन्होंने कर लिया सारी जमीन पर कब्जाबदल गए हैं समय और समझ के पैमाने जमाए बैठे हैं जाहिल जहीन पर कब्जा
मैं लोगों को जोड़ना पसंद करता हूँ। मैं सच्चे मन से विश्वास करता हूँ कि कविता लोगों को जोड़ती है, मानवी संबंधों को दृढ़ बनाती है। सद्भावना परक सामाजिक परिवेश का निर्माण करना मेरा प्रयास रहा है। मैं लोगों को आपसी सम्मान और विश्वास के दायरे में बँधकर शांति से जीते हुए देखना चाहता हूँ।
कटे जंगल की मिट्टी रो रही है लकड़हारे को फाँसी हो रही हैउसी से लहलहाएगा मुकद्दर तेरी सुहबत जो मुझमें बो रही है
प्रेमचंद के इस ‘मंगल भवन अमंगल हारी’ के दर्शन को जिसे वे ‘आदर्शोन्मुख यथार्थवाद’ कहते हैं, उसके केंद्रीय भाव को जानना जरूरी है। प्रेमचंद ने अपने साहित्य-कर्म का उद्देश्य बताते हुए लिखा था कि अपने साहित्य से भारतीय आत्मा की रक्षा तथा स्वराज्य प्राप्त करना उनका लक्ष्य है।