आदमी अब नहीं आदमी दोस्तों

आदमी अब नहीं आदमी दोस्तों किस तरह से हो बसर जिंदगी दोस्तोंरौशनी में मुझे नींद आती नहीं डस गई है मुझे चाँदनी दोस्तों

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कवि सम्मेलन

हाट की रौनक और चहल-पहल देखकर नीलकमल की आँखें चौंधिया गईं। भाँति-भाँति की बहुरंगी दुकानों की भरमार, भोंपुओं की कानफाड़ू कर्कश आवाजें और एक-दूसरे से टकराकर गड्ड-मड्ड होता वर्णसंकर संगीत।

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‘स्त्री जितना दिखती है, सिर्फ उतनी भर ही नहीं होती’–सूर्यबाला

डॉ. सूर्यबाला 1 दिसंबर, 2021 को बिहार संग्रहालय के सभागार में आयोजित प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिका ‘नई धारा’ के अपने संस्थापक संपादक एवं प्रसिद्ध लेखक उदय राज सिंह के जन्मशती महोत्सव में बतौर मुख्य अतिथि बोल रही थीं।

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आलोचना की विश्वसनीयता

हिंदी के ऐतिहासिक महत्त्व की प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिका ‘नई धारा’ 2020 का रचना सम्मान’ प्राप्त कर गौरव का अनुभव कर रहा हूँ। इस सम्मान के योग्य मुझे समझा गया, इसके लिए आभार व्यक्त करता हूँ। इस अवसर पर साहित्य-मूल्यांकन विशेषकर समकालीन आलोचना पर दो बातें कहना चाहता हूँ।

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