सौदा

सिंधु बॉर्डर से किसान आंदोलन को संबोधित कर जब घर आई तो पूसी काफी सुस्त और खिन्न लगी। जान पड़ता था, मेरी अनुपस्थिति में न तो किसी ने उसको ठीक से खिलाया-पिलाया था, न नहलाया-धुलाया ही।

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