बस आखिरी यही तो

बस आखिरी यही तो इक रस्ता है, बात कर यों चुप्पी साधने से तो अच्छा है, बात करपिघलेगी बर्फ कर भी यकीं हो न यूँ उदास क्यूँ सर को थाम के यहाँ बैठा है, बात कर

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एक दिन आसमान नीला था

अरसे बाद सिराज को देखकर टुटुल मुस्कुराया। सिराज अपने पिता के पीछे खड़ा था। वह काफी लंबा हो गया है, उसकी पतली मूँछें भी उगने लगी थी। सिराज के पिता बटरफ्लाई मॉल के दरबान के आगे हाथ जोड़कर कह रहे थे।

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विषमता के शिकार नायकों की कथा

‘नेपथ्य के नायक’ सामाजिक न्याय और समता के लिए लड़ने वाले ऐसे 25 नायकों की जीवनी है, जिनको हमारे इतिहास लेखन में उचित मान-सम्मान नहीं दिया गया।

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चौंका हुआ रहता है मन

अभी घर में मैं हूँ और मेरी माँ है लेकिन माँ चिंतित और उदास है मेरे भाई को घर से निकले दो घंटे हो चुके हैं

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