जो पढ़े लिखे विकसित थे
जो पढ़े लिखे विकसित थे पढ़ रहे थे बर्बरता और अपराधों के कानून की किताबें
जो पढ़े लिखे विकसित थे पढ़ रहे थे बर्बरता और अपराधों के कानून की किताबें
कर्नाटक के दलित साहित्य के प्रमुख हस्ताक्षर कवि, नाटककार, निबंधकार ही नहीं, डॉ. सिद्धलिंगय्या कर्नाटक विधान परिषद के सदस्य, कन्नड़ प्राधिकार और कन्नड़ पुस्तक प्राधिकार के अध्यक्ष होते हुए भी स्वभाव से कोमल, मृदुभाषी, चिंतनशील व्यक्तित्व के धनी थे।
उन्हें तारों का टूटना पसंद नहीं और न नदियों का सूखना न ही धरती का फटना
अचानक से कोई रोक दे नदी का बहना और असंगत हो जाए विस्थापित नियमों से!
अजीब शाम का मंजर दिखाई देता है जब आफताब जमीं पर दिखाई देता हैमुझे तो नीलगगन के विराट आँगन में हसीन चाँद पे इक घर दिखाई देता है
आपकी हद तलाश करते हैं अपना दिल पाश पाश करते हैंपत्थरों को तराश कर क्यूँ लोग देवता को तलाश करते हैं