नई धारा संवाद : प्रेम जनमेजय (व्यंग्यकार)
अपनी साहित्य-साधना के लिए अनेक सम्मानों से विभूषित डॉ. जनमेजय से ‘नई धारा संवाद’ के तहत बीते दिनों मनमीत नारंग ने ऑनलाईन बातचीत की,
अपनी साहित्य-साधना के लिए अनेक सम्मानों से विभूषित डॉ. जनमेजय से ‘नई धारा संवाद’ के तहत बीते दिनों मनमीत नारंग ने ऑनलाईन बातचीत की,
पत्थर को पिघलने में अभी वक्त लगेगा अंदाज बदलने में अभी वक्त लगेगाबेवक्त भला रात कहाँ जाएगी आखिर सूरज को निकलने में अभी वक्त लगेगा
सिर्फ उम्मीद पर टिकी मिट्टी कुछ नये ख्वाब देखती मिट्टी उड़ लो जितना यहीं पे आओगे कह रही है जमीन की मिट्टी
वर्ष 2020 जाते-जाते यह एक दुखद संयोग हुआ कि एक साथ उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात तीन अलग-अलग प्रदेशों, हिंदी, मराठी और गुजराती के, अलग-अलग तीन संपादकों जो कोरोना महामारी के शिकार हो गए।
न अब पानी को पानी कह रही है नदी अपनी कहानी कह रही हैउदासी को समेटे बूढ़ी अम्मा ये दुनिया आनी जानी कह रही है
वे जो दिखते हैं हमारे आसपास बड़ी नैतिकता वाले लोग पेड़ों को काटकर सजाते हैं अपने घर