अपने भीतर झाँकने का मन
Miranda by John William Waterhouse- WikiArt

अपने भीतर झाँकने का मन

अपनी कमियाँ भी नज़र आएँगी ही उसमें आदमी मन को अगर दर्पण करे तब तोकुछ भी तो बचपन सरीखा है नहीं निश्छल अपनी हर इक उम्र वह बचपन करे तब तो

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