गठबंधन

जोरों की झमझम बारिश देख मुक्ता की इच्छा हो रही थी कि वह देर तक बैठकर इस टिप-टिप स्वर को सुनती रहे। इस स्वर के ताल में ताल मिलाकर वह अपने सारे दुःख भूल जाया करती थी। प्रकृति का यह नजारा उसे अपने बचपन में लेकर चला जाता था। वह ग्रीष्म ऋतु के बाद की पहली बरसात थी।

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कभी आके इधर हरियालियों पे बात

कभी आके इधर हरियालियों पे बात करते हैं उधर जाके समुंदर में कहीं बरसात करते हैंहमें दिन-रात क्या मालूम, उनको ही पता ये सब जगाकर दिन वे करते हैं सुलाकर रात करते हैंलगाकर आग दरिया में, सुरक्षित बच निकलते खुद किनारे बैठकर कहते कि तहकीकात करते हैं

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विद्यावान गुनी अति चातुर

श्री हनुमान-चरित-मानस में एक ओर जहाँ मैनाक, मायाविनी सुरसा आदि से वार्तालाप के प्रसंग में श्री हनुमान जी की वाणी की विनयशीलता, लक्ष्यैकचक्षुता, कार्यसिद्धि की तत्परता आदि विशेषताओं की चर्चा की गई है वहीं दूसरी ओर जगत जननी माता जानकी से वार्तालाप के क्रम में उनके प्रत्येक अक्षर में दूतजनोचित निपुणता का भी दिग्दर्शन कराया गया है। श

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पानी पिला दो नानी

हालाँकि सरकार ने घर-घर पानी की योजना की घोषणा जरूर कर रखी थी लेकिन घोषणा केवल घोषणा होती है। पानी की कोई व्यवस्था सरकार कर ही न सकी। मजबूरीवश गाँव की महिलाएँ सुबह उठकर पानी भरने पाँच किलोमीटर पैदल जातीं और पानी भर कर वापस लौटतीं। थकी-हारी। दिनभर गर्दन दुखती रहती। गाँव के मर्द कमाने शहर चले जाते और वे भी देर रात लौटते।

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प्यार

प्यार एक ऐसा एहसास जगाती जो जीवन का प्यास मन मुदित तन सुरभित टूट जाती सारी वर्जना है प्रबल यह भाव इतना मन करता सिर्फ कामना उम्र सीमा देह सीमा सबसे जाती पार यह इसके दम से है ये धरती इसके दम से आसमाँ।

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प्यारी सी गौरैया

जब पढ़ती हूँ गौरैया की संख्या चिंताजनक रूप से कम होती जा रही है, गौरैया संरक्षण पर चर्चा हो रही है, लेख लिखे जा रहे हैं तब मुझे अपने परिसर में बसी शताधिक गौरैयों को देखकर ऐसा गर्व होता है मानो इनका यहाँ होना मेरी वजह से संभव हो रहा है। लोग जब गौरैयों की आश्चर्यजनक उपस्थिति पर दंग होते हैं मैं उपलब्धि से भर जाती हूँ। गौरैया पर बात करने से पहले परिसर का भूगोल बताना चाहती हूँ जहँ कई किस्म के पक्षी निःशंक रहते हैं।

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