आपसे नजदीकियाँ हैं
आपसे नजदीकियाँ हैं इसलिए तन्हाइयाँ हैंआसमाँ पर ये सितारे आपकी रानाइयाँ हैंआशियाँ है खास तो क्या बिजलियाँ तो बिजलियाँ हैं
आपसे नजदीकियाँ हैं इसलिए तन्हाइयाँ हैंआसमाँ पर ये सितारे आपकी रानाइयाँ हैंआशियाँ है खास तो क्या बिजलियाँ तो बिजलियाँ हैं
जब ढेरों संवाद अकुला रहे होते हैं अव्यक्त मानस में कर रहे होते हैं संवाद निरंतर भीतर ही भीतरजिनकी कानों को भी नहीं लग पाती भनक वे दमित शब्द और उनका मौन चिंघाड़ता हुआ प्रकट होता है कविता मेंऔर कविता होती है उन चिंघाड़ते हुए शब्दों की बारात...
हम जो अपने समय के सबसे शर्मनाक हादसों के गवाह लोग हैं हम जो अपने समय की गवाही से मुकरे डरे, सहमे, मरे से लोग हैं।
मुझको अपने पास बुला कर तू भी अपने साथ रहा करअपनी ही तस्वीर बना कर देख न पाया आँख उठा करबे-उन्वान रहेंगी वर्ना तहरीरों पर नाम लिखा कर
बिच्छू–पैसा और पावर जब तक आंदोलन की राह में नहीं आते, तभी तक वे अपनी असली जंग लड़ते हैं। इनके आते ही आंदोलन के सर्वे-सर्वाओं की आपसी जंग शुरू हो जाती है। खामियाजा मेरे जैसा निर्दोष ही भुगतता है।
लिखा जा रहा है बहुत कुछ पर मैं लिखती रहूँगी सिर्फ प्रेम क्योंकि मुझे पता है दुनिया के सारे विमर्श प्रेम से ही उपजते हैं और एक खूबसूरत दुनिया को बचाये रखने के लिए बहुत जरूरी है हमारा प्रेम में पड़े रहना।