वो जिसने
वो जिसने रात गले से मुझे लगाया था वो तुम नहीं थे तो क्या वो तुम्हारा साया थापतंग उसने मेरी छत पे ला के उलझा दी उसी में प्यार का पहला पयाम आया था
वो जिसने रात गले से मुझे लगाया था वो तुम नहीं थे तो क्या वो तुम्हारा साया थापतंग उसने मेरी छत पे ला के उलझा दी उसी में प्यार का पहला पयाम आया था
‘सिगरेट, सिगरेट के अलावा सिर्फ आधे अँधेरों में खोजा जा सकता है’ जहाँ हम जीने को रोककर बातें करने लगते हैं अपने से, अपनों से वहीं हवा का सिरहाना बनाकर सो जाते हैं
अपना लेती है हर बात को (तथ्यों की तरह) साहस देती है अपनाने का बालों में उँगलियाँ फिराकर सुलाती है यह ध्यान रखते हुए कि उसकी उँगलियाँ बालों में फँसे नहीं सदा के लिए सोने के बीच में वह रहस्य में से परेशानी का गट्ठर लेकर
फिर धीरे धीरे, उसपे आ रही दया को दुआ करना उसपे आ रहे गुस्से को कपूर समझ कर हवा कर देना और आख़िरी में सबको माफ़ कर देना क्यूँकि, बड़ी लड़ाइयों में सच के साथ रहना होता है
उन्हें इंतजार है उनके हिस्से की तालियों का, कि उन्होंने भी सहायक भूमिका निभाई है। बाकियों की तरह अपने किरदार से बाहर आने का उन्हें कोई इंतज़ार नहीं।
पहाड़ों में गाड़ी ठेलते हुए खाई से नीचे झाँकता हूँ तो लगता है समंदर दिखेगा और एक नाव हवा में बहती हुई मेरे पास आ जाएगी जेबों में इस दृश्य की कोई तस्वीर या चित्र नहीं है एक कविता हो सकती है