हम बात अपने दिल की
हम बात अपने दिल की बता भी नहीं सके कुछ जज्ब ऐसे थे कि छुपा भी नहीं सकेरातें कटें सुकून से, सो दिन गँवा दिया बिस्तर पे मुश्किलों को भुला भी नहीं सकेहमने हजार शेर लिखे उसके वास्ते जिसको कि एक शेर सुना भी नहीं सके
हम बात अपने दिल की बता भी नहीं सके कुछ जज्ब ऐसे थे कि छुपा भी नहीं सकेरातें कटें सुकून से, सो दिन गँवा दिया बिस्तर पे मुश्किलों को भुला भी नहीं सकेहमने हजार शेर लिखे उसके वास्ते जिसको कि एक शेर सुना भी नहीं सके
क्या-क्या सोचा था न हुआ मिलकर भी मिलना न हुआवो मेरा चेहरा न हुआ उससे ये रिश्ता न हुआबरसों से जो मुझमें है क्यों मेरा अपना न हुआ
महल में बैठकर वह आमजन की बात करता है कोई आवारा मीरा के भजन की बात करता हैतेरे मुँह से सितम के खात्मे की बात यूँ लगती स्वयं रावण ही ज्यों लंका दहन की बात करता हैनहीं महफूज हैं अब बेटियाँ अपने घरों में भी जनकपुर में कोई सीताहरण की बात करता है
आप थे मुझमें निहाँ जिंदगी थी कहकशाँमिट चुके जिसके निशाँ था यहीं वो आशियाँक्यों जमाने को सुनूँ आपको सुनकर मियाँबात उसकी भी सुनो
आँख में आँसू लब पे तेरा नाम आया जज्बे में सच कहने का इल्जाम आयाथे जिसके बीमार हजारों सितमजदा वही मसीहा बीमारों के काम आयाइंतजार में बैठे तो ये हाथ लगा आँखों में नींदें ख्वाबों में जाम आयादिन काटा दुनियादारी में शामे-गम
थोड़ा जोर से बोलो यार बहरी हो गई है सरकारसच के भी हैं कई प्रकार जनवादी, सरमायेदारया तो घर या तो बाजार पीठ ढकी तो पेट उघारपसरी हुई हथेली थी