हर एक शख्स को उस दम मलाल होता है
हर एक शख्स को उस दम मलाल होता है बुलंदियों से कभी जब सवाल होता हैवहाँ के बच्चों की तालीम किस तरह होगी जहाँ का मसअला रोटी और दाल होता हैहमारे गाँव में मेहमाँ का होता है आदर तुम्हारे शहर में बस हाल-चाल होता है
हर एक शख्स को उस दम मलाल होता है बुलंदियों से कभी जब सवाल होता हैवहाँ के बच्चों की तालीम किस तरह होगी जहाँ का मसअला रोटी और दाल होता हैहमारे गाँव में मेहमाँ का होता है आदर तुम्हारे शहर में बस हाल-चाल होता है
गुरबत भरी हयात में दौलत भी तो मिले घर के बड़े-बुजुर्गों की सोहबत भी तो मिलेहम आसमान को भी जमी पर उतार दें घर बार से मगर कभी फुरसत भी तो मिलेये चाँद तारे आपके कदमों में वार दें
मेरा शीशे का घर देखा उन हाथों में पत्थर देखापानी पानी पानी पानी ऐसा हमने मंजर देखानाम उसी का लेंगे हर पल जिसमें अपना तेवर देखाआँख न होगी गीली उसकी उसका गीला बिस्तर देखा
जो मुझे भूला नहीं था मैं कभी उसका नहीं थाक्यों सगा समझा उसे ही जो कभी मेरा नहीं थाआज खत में क्यों लिखा वो जो उसे लिखना नहीं था
याद उसे यदि रखता और होती मेरी भाषा औरथा उसका कुछ मंशा और लेकिन मैंने समझा औरगर वो रहता जिंदा और फिर मैं कुछ दिन मरता और
पत्थरों को रस्ते से हर कदम हटाना है मंजिलें बुलाती हैं, रास्ता बनाना हैदिल हर एक बुराई से अपना यूँ बचाना है एक-एक पत्थर को आईना बनाना हैआसमाँ है मुट्ठी में, हौसला बढ़ाना है देखते रहो या रब, करके बस दिखाना है