लगाकर आग बस्ती से
लगाकर आग बस्ती से, निकल जाने की आदत है जिन्हें हर बात में झूठी, कसम खाने की आदत हैंचुराकर गैर के आँसू, बना लेते हैं जो काजल सजाकर आँख में फिर से खुशी पाने की आदत हैसजीले बागबानी में, टहलने आ गए साहब जिन्हें फूलों की रंगत पे बहक जाने की आदत है