भूलकर माजी अभी की बात कर
भूलकर माजी अभी की बात कर रो चुका तू अब हँसी की बात करस्वर्ग कैसे बन सकेगा यह वतन कुछ तो वो जादूगरी की बात करबात कोई भी निराशा की न हो जिंदगी में जिंदगी की बात कर
भूलकर माजी अभी की बात कर रो चुका तू अब हँसी की बात करस्वर्ग कैसे बन सकेगा यह वतन कुछ तो वो जादूगरी की बात करबात कोई भी निराशा की न हो जिंदगी में जिंदगी की बात कर
हिंदी गजल की विकास यात्रा का श्रीगणेश अमीर खुसरो की उन गजलों से होता है जिनमें किसी न किसी रूप में हिंदी का रंग विद्यमान है। तब से हिंदी गजल के क्षेत्र में स्फुट लेखन की परंपरा अनवरत जारी है। कबीर, भारतेंदु हरिश्चंद्र, लाला भगवानदीन, निराला, अंचल, हरिकृष्ण प्रेमी, बलवीर सिंह रंग आदि ने इस विधा को समृद्ध किया।
कराहें तेज होती जा रही हैं जहन में मौन बोती जा रही हैंदवाखाने को दौलत की पड़ी है हमारी साँसें खोती जा रही हैंअभी तहजीब की खेती भी होगी अभी बस कौमें जोती जा रही हैं
अजब कहानी है भूखी रानी हैआम सड़क है बंद पुल पर पानी हैसाधू क्यों है मौन राजा दानी हैजनता, राजा, देश पीर पुरानी हैदुःशासन तैयार लाज बचानी है
तुमको इस दुनिया ने अब तक है दिया कुछ भी नहीं और तुम निकले भी ऐसे कि लिया कुछ भी नहींजिंदगी माँगी है तो कैसे नहीं रोओगे जुर्म ये इतना बड़ा है कि सजा कुछ भी नहींजिसको खुद पे न भरोसा हो न औरों पर ही ऐसे लोग दुनिया में जी के भी जिया कुछ भी नहीं
हमारी बात का तुम उम्रभर कहा रखना निभे न दोस्ती तो दुश्मनी को क्या करनाभले ही पीठ की आँखों को तुम खुला रखना हजार बातें वो दुख की मगर भुला रखनामेरी तो इतनी-सी कोशिश है–इब्तिदा रखना उसी जमीन पे तुमको है–इन्तिहा रखना