उसकी लिखावट

उसने खूब लिखा स्त्री को खूब पढ़ा स्त्री को खूब बिके किताब खूब लगाए नारे पर सुना है आजकल वह लिखना-पढ़ना भूल सा गया है क्योंकि उसकी खुद की स्त्री ने

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बोझ

पैर थक जाते हैं घुटने जवाब दे जाते हैं झुक जाती है कमर पर कितना ढीठ है यह आदम जात लँगड़ाते हुए घसीटते हुए वह मोह-माया में लिपटा हुआ अपनी लालसा की गठरी

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रोबोट बनता नया साल

दीवारों पर टँगते नहीं कैलेंडर मशीनों में बंद हो जाती हैं तारीख़ें फिर भी हर बार की तरह फिर परिवर्तन का ढोल बजाते रोबोट बना आएगा नया साल।

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कवि शैलेन्द्र

शैलेन्द्र हिंदी के सबसे बड़े गीतकार हैं। ऐसा इसलिए कि भाषा की ऐसी सादगी, बहाव और लोच किसी दूसरे गीतकार में नहीं।

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छात्र- जीवन में साहित्य का बीज

‘आदमीयत’ को बचाए रखने के लिए साहित्य के प्रति रुचि का बढ़ना ज़रूरी है और इसकी कोशिश विद्यार्थी-जीवन से ही शुरू करनी होगी।

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साँप

शर्ट-पैंट फाड़ने के बाद भीतरी वस्त्र भी नोच फेंके गए। शिल्पा ज्यों-ज्यों अपने गठीले बदन और मछलियों की-सी मांसपेशियों को फुरती से झटकती, त्यों-त्यों चारों ओर से दबाव बढ़ता ही चला गया। उसका तड़पना, छटपटाना भी काम न आया।

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