खुशरंग नजारों से गुजरने नहीं देता
खुशरंग नजारों से गुजरने नहीं देता वो मौसमे-वादी को सँवरने नहीं देताहै वक्त के सैलाब में बहना ही मुकद्दर गिर्दाब तो कश्ती को उभरने नहीं देताकुछ जख्म भर जाते हैं कुछ रोज में लेकिन कुछ जख्मों को मैं ही कभी भरने नहीं देता