आँधियाँ ओढ़ कर मेरी बिट्टू

आँधियाँ ओढ़ कर मेरी बिट्टू आ रही दौड़कर मेरी बिट्टूवक्त से हाथ अब मिलाएगी सबके भ्रम तोड़कर मेरी बिट्टू

और जानेआँधियाँ ओढ़ कर मेरी बिट्टू

हवा में है

हवा में है वो अभी आसमान बाकी है अभी परिंदों की ऊँची उड़ान बाकी है अभी तो उम्र के पन्ने पलट रहा है वो अभी तो जिंदगी की दास्तान बाकी हैनजर में आपकी कंगाल हम भले ठहरे हमारे पास अभी स्वाभिमान बाकी है

और जानेहवा में है

इतना हसीं कहाँ मेरा पहले नसीब था

इतना हसीं कहाँ मेरा पहले नसीब था तुमसे मिला नहीं था तो कितना गरीब थामेरा जो हो के भी कभी मेरा नहीं हुआ कोई नहीं वो और था मेरा हबीब थादेखा नहीं नजर उठा के भी कभी उसे

और जानेइतना हसीं कहाँ मेरा पहले नसीब था

समंदर की लहर पहचानता हूँ

समंदर की लहर पहचानता हूँ क्या करूँ लेकिन हवा का रूख बदलना चाहता हूँ क्या करूँ लेकिनमुझे मालूम है जाना मुझे है किस दिशा में पर मैं कश्ती की दशा भी देखता हूँ क्या करूँ लेकिन

और जानेसमंदर की लहर पहचानता हूँ

उधर बुलंदी पे उड़ता हुआ धुआँ

उधर बुलंदी पे उड़ता हुआ धुआँ देखा इधर गरीब का जलता हुआ मकाँ देखाकिसी अमीर ने दिल तोड़ दिया था मेरा मुद्दतों मैंने उसी चोट का निशाँ देखावहम ये मिट गया मेरा कि सर पे छत ही नहीं नजर उठा के ज्यों ही मैंने आसमाँ देखा

और जानेउधर बुलंदी पे उड़ता हुआ धुआँ

सवाल ये है कभी क्या किसी ने सोचा है

सवाल ये है कभी क्या किसी ने सोचा है गरीब आदमी ही क्यों शिकार होता हैहुआ सबेरा गली में वो लगाता फेरा दुआ जबान पे है हाथ में कटोरा हैभले इनसान का मुश्किल है गुजारा यारो गधा वो है जो दूसरों का भार ढोता है

और जानेसवाल ये है कभी क्या किसी ने सोचा है