जुल्म ऐसे कि वो ढाते हुए थक जाते हैं
जुल्म ऐसे कि वो ढाते हुए थक जाते हैं और हम खुद को बचाते हुए थक जाते हैंक्या मनाएँगे किसी गैर की रूठी किस्मत वो जो खुद ही को मनाते हुए थक जाते हैंअपने अहसान गिनाते हुए थकते ही नहीं वो जो अफसोस जताते हुए थक जाते हैं