चक्र
प्रेमिकाएँ, करती हैं मदद पूर्व-प्रेयसियों को भुला देने में और फिर चली जाती हैं एक नई स्त्री के माथे ये जिम्मा सौंपकर प्रेमी, उद्विग्न हो जाते हैं पूर्व-प्रेमी के सिर्फ़ नाम ही से
प्रेमिकाएँ, करती हैं मदद पूर्व-प्रेयसियों को भुला देने में और फिर चली जाती हैं एक नई स्त्री के माथे ये जिम्मा सौंपकर प्रेमी, उद्विग्न हो जाते हैं पूर्व-प्रेमी के सिर्फ़ नाम ही से
मैं कवि हूँ मेरी अपनी मज़बूरी है मैं ‘पसंद’ को ‘पसंद’ नहीं लिख सकता मैं ‘प्यार’ को ‘प्यार’ नहीं लिख सकता मुझे ‘प्यार’ लिखने के लिए खोजने पड़ते हैं नए नए शब्द गढ़नी पड़ती हैं नई नई परिभाषाएँ
मैंने प्रेम किया और चाहा कि आज़ाद ही रहूँ यानी मैंने खुद में और प्रेम में खुद को चुना, सुविधा चुनी, आजादी चुनी उसी वक्त, उसने प्रेम किया
मिट्टी को मजबूती से पकड़े हैं पेड़ इतनी मजबूती से कि पानी का प्रचंड वेग भी उसे हिला तक नहीं पाता मिट्टी की भी उतनी ही रक्षा करता है पेड़ कटान को रोककर स्वयं की जितनी पेड़ की जड़ें
भूखे-प्यासे दो जून की रोटी का आँखों में सपना पाले वह सुबह से दोपहर तक नाचता रहा यह बोल सुनते हुए–‘तनख्वाह देते हैं काम तो करना ही पड़ेगा मर कर करे या जी कर।’
अगले ही पल, चिपकूआइन के चेहरे पर आड़ी-टेढ़ी चिंता की लकीरें लट्ठ की तरह से सीधी खड़ी हो गईं। गुस्से से मुँह लाल हो गया।