जीवन कितना सुंदर है
ना, इन फूलों पर न बनेगा मन-मधुकर मतवाला! अब न पियेगा स्वप्न-सुरभि– मदिरा का मादक प्याला!! काँटों में उलझा देना जीवन कितना सुंदर है!
ना, इन फूलों पर न बनेगा मन-मधुकर मतवाला! अब न पियेगा स्वप्न-सुरभि– मदिरा का मादक प्याला!! काँटों में उलझा देना जीवन कितना सुंदर है!
‘मानसरोवर’ को नया रूप देने तथा नई उपलब्ध कहानियों को पाठकों तक पहुँचाने के संकल्प में ही ‘नया मानसरोवर’ के प्रकाशन का औचित्य छिपा है।
इस अस्पृश्यता के खिलाफ लड़ाई का विस्तार डॉ. अम्बेडकर ‘जाति का विनाश’ और ‘अंतरजातीय विवाह’ के पक्ष में करते हैं। बाद में जाति के विनाश के प्रक्षिप्त को वे खुद समझ जाते हैं, इधर अंतरजातीय विवाह और प्रेम विवाह से कैसे दलितों के घरों की तबाही हो रही है किसी से छुपा नहीं है।
रोज क्लास से लॉज की दूरी में नौकरी से इंटरव्यू देने तक को सोचते जाते हैं लड़के लड़के, रात तक पूरा डेटा खर्च करने के बाद अपने सबसे धनी दोस्त को ‘तुम’ में संवादित कर
आँखों में परख परख भी एकदम पाग चिह्न लेने वाली इतने सब के बाद बोली तो मीठी होनी ही थी सो भी है। लेकिन कलेजा? मठूस हलवाई कहीं का बचपन में ही काले रसगुल्ले की कीमत
है जो परिवर्तन नियम तो सब बदलना चाहिए था फिर तो सूरज को भी पश्चिम से निकलना चाहिए था यूँ तो बदला जा चुका है जाने क्या क्या लेकिन अब तक वो नहीं बदला गया है जो बदलना चाहिए था