आह एक…..सत्यकथा
उसकी जवानी के रास्ते में सबसे पहले उससे एक मुसलमान टकराया जो उसकी जुल्फों का कैदी होना चाहता था लेकिन उसने उसको सूअर कह दिया।
उसकी जवानी के रास्ते में सबसे पहले उससे एक मुसलमान टकराया जो उसकी जुल्फों का कैदी होना चाहता था लेकिन उसने उसको सूअर कह दिया।
काम की गुणवत्ता ऐसी कि अन्य तो करते ही उसकी नकल कंपनी की भी जय-जय होती, वह मालामाल होतीकंपनी जब भी संकट में फँसती वही तारणहार, संकटमोचक होता वह जितना देता उससे उतनी ही माँग बढ़ जाती
शादी के सवाल पर पत्रकारों को वह एक ही जवाब देती कि उसे अभी ब्रह्मांड में खोजे से भी सपनों का राजकुमार नहीं मिल रहा जैसे ही वह मिलेगा धूम-धड़ाके से उससे शादी रचाएगी।
पैर अशक्त हो चुके हैं आँखें निस्तेज और कंठ सूख गया है। दूरियाँ पाटे नहीं पट रही थीं। उसी रास्ते जब लौटना हुआ दुबारा-तिबारा फिर जाना हुआ दूरियाँ तीन सौ किलोमीटर की दो-एक किलोमीटर में सिमटने लगीं।
हर कोई आगे निकलना चाहता है पीछे पीछे कौन चलना चाहता हैकब तलक घुटनों के बल रेंगे बताओ अब ये बच्चा उठ के चलना चाहता है
ख़िजाँ के आते ही पत्तों ने साथ छोड़ दिया बुज़ुर्ग बाप का बच्चों ने साथ छोड़ दियाख़ुदा का शुक्र है ज़िंदा हैं हम अभी वरना बहुत से यारों का साँसों ने साथ छोड़ दिया