मैं समलिंगी नहीं हूँ

वही हँसी, वही आँखें, वही हृदय और जब तुम मुझे जु...री...कहकर पुकारती हो तो मैं विस्मित हो जाती हूँ। इतनी समानता कैसे हो सकती है।

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वे किसी की निंदा नहीं करते

समाज में आप जैसे लोगों की ज़रूरत है, जो किसी की निंदा नहीं करते, वरना तो आप देख ही रहे हैं न दुनिया को।

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भारत ग्रामवासिनी

तीस कोटि संतान नग्न तन, अर्ध क्षुधित, शोषित, निरस्त्र जन, मूढ़ असभ्य, अशिक्षित, निर्धन, नत-मस्तक तरु तल निवासिनी!

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हाड़ पुरखों के

पिता कभी-कभी कहानी-सा बताते उनके दादा, पिता स्वर्ग रथ पे सवार होकर गए और उनकी चिताओं की राख भी हम बहा आए थे संगम में और सब संगम के पानियों के संग जमना में बही या गंगा संग बहती चली या सब सरस्वती सरीखी जज्ब हो गई

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काली चाय खौल रही है

मुर्गों ने नहीं दी बाँग दूध के बगैर काली चाय खौल रही है केतली में रहमान को आवाज देते लब आज चंचल को देते हैं हिदायत आज दो कप ही लाना तीन नहीं

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