गुल्लक
शताब्दी खड़ी है सम्मुख देना पड़ रहा है हिसाब अपनी जमा राशि का ही नहीं उन मुस्कुराहटों का भी जब पापा दफ्तर से लौटकर रेजगारियाँ धर देते थे मुस्कुराहट के संग देखने को आतुर रहते चुन्नू की मासूम मुस्कुराहट
शताब्दी खड़ी है सम्मुख देना पड़ रहा है हिसाब अपनी जमा राशि का ही नहीं उन मुस्कुराहटों का भी जब पापा दफ्तर से लौटकर रेजगारियाँ धर देते थे मुस्कुराहट के संग देखने को आतुर रहते चुन्नू की मासूम मुस्कुराहट
कहानियों के चार संग्रह–‘पहला रिश्ता’, ‘क्रांति की मौत’, ‘हिन्दुस्तान की डायरी’ और ‘चन्दर की सरकार’ प्रकाशित हो चुके हैं, जबकि इसी वर्ष वृहत्काय उपन्यास ‘रामघाट पर कोरोना’ का प्रकाशन भी हुआ है।
अनिरुद्ध सिन्हा की रचनाएँ दायित्व बोध से संपन्न है। इनके चिंतन का फ़लक व्यापक है। हिंदी ग़ज़ल में इनके योगदान को नकारा नहीं जा सकता।
अब आवश्यकता इस बात की है कि भारत का प्रत्येक नागरिक हिंदी अम्बेडकर काव्य में चित्रित लोक कल्याण की भावना को समझे और उसके अनुरूप व्यवहार करें।
1961 में आया 'पानी के प्राचीर' रामदरश मिश्र का पहला उपन्यास है, उसके लिखने के पीछे 'मैला आंचल' लेख जैसे आंचलिक उपन्यासों की सबल प्रेरणा रही है।
हिंदी की चर्चित लेखिका गीतांजलि श्री के पाँच उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं, जिनमें पहला उपन्यास था ‘माई’, ‘तिरोहित’,