पाणिग्रहण
अपने इर्द-गिर्द से आ रहे विमर्श को जगरनिया के माई बाबू सुन रहे हैं। बात एक होती है लेकिन दिमाग अपने अनुसार आशय ढूँढ़ता है।
अपने इर्द-गिर्द से आ रहे विमर्श को जगरनिया के माई बाबू सुन रहे हैं। बात एक होती है लेकिन दिमाग अपने अनुसार आशय ढूँढ़ता है।
जब मंदिर के कपाट बंद करने का समय हुआ, तो बाबा छूरा छिपाए कुटिया से बाहर आए और भगवान शिव की प्रतिमा के आगे नतमस्तक होकर विनती की,
स्त्री विमर्श को लेकर या स्त्री अधिकारों को लेकर और स्त्री लेखन को भी अब ज्यादा गंभीरता से देखा, जाना, समझा जाने लगा है और बहुत सारी स्त्री लेखिकाएँ भी हैं जो बहुत अच्छा लिख रही हैं। तो अब आपको ये परिदृश्य जो है, ये उस परिदृश्य से जब आपने शुरू किया था तो कितना फर्क लगता है? इसकी अच्छी चीजें आपको क्या लगती हैं?
नौकुछिया ताल में मैंने पैरों को पानी में डाला कौन से ताल में पहले में या दूसरे में या नौवें ताल में जिसमें भी मैंने डाले पैर नौ
उसके पास मेरी ख़ताओं की लंबी फ़ेहरिस्त है बेहिसाब उलाहनों के ग्रंथ उसके पास जाते ही हो जाती हैं मेरी ढालें नाकाम उसके सामने पस्त पड़ी हैं मेरी शमशीरें मुश्क़िल है उसे यक़ीन दिलाना कि मैं उसे चाहता हूँ
दिशाएँ जब छोड़ देंगी इशारा करना मेरा दृढ़ मनोरथ भाँप छोड़ देंगे कुत्ते और चमचे वफ़ादारी छोड़ देगी गौरैया मेरे आँगन में फुदकना मैं तुम्हें पुकारूँगा अपनी पूरी कातरता के साथ फिलहाल अभी मैं तुम्हें ललकारता हूँ