हमारे कृषक

दूध-दूध गंगा तू ही अपनी पानी को दूध बना दे दूध-दूध उफ् कोई है तो इन भूखे मुर्दों को जरा मना दे दूध-दूध दुनिया सोती है लाऊँ दूध कहाँ से किस घर से दूध-दूध हे देव गगन के कुछ बूँदें टपका अंबर से

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