बुल्लेशाह, तू हासिल की कीता!
बीरबल ने जवाब के लिए पहले एक महीने का समय माँगा और बादशाह ने दिया। जब महीने के भीतर भी जवाब न दे पाया
बीरबल ने जवाब के लिए पहले एक महीने का समय माँगा और बादशाह ने दिया। जब महीने के भीतर भी जवाब न दे पाया
ऐसी ही काल कोठरी में सावरकर भी तो बंद हुएवहीं कील से लिख करकेक्रांति ज्वाल के छंद दिए।ऐसे ही कितने वीरों नेभोगा उस काला पानी
रोम-रोम में राम बसा करते थे पहलेअब तो केवल रोम-रोम है, राम कहाँ हैराजधानियों में हैं गोरी और गजनबीश्रद्धा के मंदिर
दो चूड़ियों के बोझ से आ जाती थी लचक नाज़ुक कलाइयों की नज़ाकत का दौर थाबेख़ौफ़ आसमान में उड़ते थे साथ-साथ रस्मों से बार-बार बग़ावत का दौर था
चढ़ने लगा है भाव भी बाज़ारे-इश्क़ में छूने को आसमान चलीं क़ीमतें नई हमने लगा दी जान मिटाने में दूरियाँ अब मत बनाओ यार मेरे सरहदें
इतनी नफ़रत को पाल कर दिल में आप ख़ुद को अदीब कहते हैंजिनकी आँखों का मर गया पानी हम उन्हें बदनसीब कहते हैं