गद्य धारा

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फिल्टर

प्रस्तुत कहानी में मृत्यु दो रूपों में पुरजोर तरह से उपस्थित है मुझे लगता है तेजेंद्र शर्मा की अन्य सभी कहानियों की तुलना में मृत्यु पर जितना विस्तृत चिंतन लेखक ने ‘हथेलियों में कंपन’ में किया है अन्यत्र दुर्लभ है। मृत्यु का दूसरा सिरा मौसा नरेन के जवान बेटे अमर की मृत्यु से जुड़ा है। लेखक ने पूरी कहानी में व्यंग्यात्मक शैली में मृत्यु को अनेक संदर्भों में व्याख्यायित किया है। मृत्यु यदि एक बाजार है, उसकी मंडी भी लगती है, वह एक व्यवसाय है, तो मृत्यु एक हस्ताक्षर भी है। कभी-कभी अपने प्राकृतिक नियमों का उल्लंघन करके अपने क्रम को उलटने वाला हस्ताक्षर भी मृत्यु ही है। इस तरह मृत्यु अंत नहीं आरंभ है जीवन का।