कथा धारा

इस पृष्ठ पर आपको उपन्यास, कहानी, लघुकथा आदि के रूप में हिंदी कथा साहित्य की उत्कृष्ट रचनाएँ पढ़ने को मिलेंगी।

फिल्टर

बिना संयोग के कोई कहानी नहीं बनती, क्योंकि जिंदगी में इत्तिफाकन बहुत कुछ होता है। यहाँ भी ऐसा ही हुआ। जिस रात मिंदर गीतिका के घर से निकली तब उसका मिजाज उखड़ा हुआ था–इन बड़े लोगों का भी कोई भरोसा नहीं...एक पल में मोम, दूसरे में पत्थर! मैंने ऐसा क्या कहा, अफसोस ही जताया कि घर टूट गया...वह मुझे ही सुनाने लगी कि तेरा कंथ तो प्रेत बनकर तेरे कंधों पर सवार है, उतार फेंक! अरे! वाह! जनम-जनम का रिश्ता कोई काट के फेंकता है! अपने मजाजी रब को कोई प्रेत कहता है? मत मारी गई है भैंण जी की! सच्च कहते हैं–ज्यादा पढ़ाई-लिखाई मगज में चढ़ जाती है। उसने अपने सिर झटक कर खुद को समझाया–छोट नी मिंदर! जग स्यापा, ते रब राखा!