ममता की डोर भारती 1 December, 2014 स्त्री अपने पति का प्रतिकार कर रही थी, वह सहमी-सी अपने पति के पीछे-पीछे अपने घर की तरफ खिंची चली जा रही थी...जाने ममता की कैसी डोर थी यह! और पढ़ें शेयर करे close https://nayidhara.in/katha-dhara/mamta-ki-dor/ कॉपी करें
इलाज भारती 1 December, 2014 डाॅक्टर शोभा की जाँच-पड़ताल करने लगे। कई तरह के टेस्ट आदि भी करवाए गये, परंतु डाॅक्टर की गंभीर मुद्रा को देखकर शोभा की माँ ने पूछा- ‘डाॅक्टर साहब, मेरी बेटी ठीक तो हो जाएगी न? और पढ़ें शेयर करे close https://nayidhara.in/katha-dhara/ilaj/ कॉपी करें
उतारन भारती 1 December, 2014 घर से सोचकर गया था कि आज जो भी मुर्दा...घाट पर आएगा...उसके तन पर कंबल तो जरूर होगा...जिससे तुम्हारी ठंढ दूर हो जाएगी। पर जरा भाग्य तो देखो अम्मा...मुर्दे का उतारन भी नसीब नहीं!’ और पढ़ें शेयर करे close https://nayidhara.in/katha-dhara/utaran/ कॉपी करें
घर उदय राज सिंह 5 November, 1981 मैं आजतक मकान में रहता था। अब बुढ़ापे के पड़ोस में आकर अपने घर में रहने जा रहा हूँ। तीन दशक सरकार की गुलामी करते बीत गए। आज यहाँ, कल वहाँ। मैंने कभी अपना तबादला रुकवाने की कोशिश न की और न कभी पैरवी ही की। सोचा–जब गुलामी करता हूँ तो फिर मनमानी कैसी! और पढ़ें शेयर करे close https://nayidhara.in/katha-dhara/ghar/ कॉपी करें
सभापति उदय राज सिंह 5 November, 1981 मुन्ना बाबू ने तो सारी धारा ही बदल दी। रायसाहब खिल उठे। रुक्मिणी देवी ने गहनों तथा साड़ियों की खरीदारी का बाजार गर्म कर दिया। रायसाहब की धूल में मिली हुई प्रतिष्ठा फिर लौट आई। फैक्ट्रियों से उसी तरह रुपये बरसने लगे। और पढ़ें शेयर करे close https://nayidhara.in/katha-dhara/sabhapati/ कॉपी करें
कृष्णा और लारी उदय राज सिंह 5 November, 1981 लारी काफी देर तक हमारी बेटी के यहाँ रही। बहुत सारे विषयों पर उससे बातें होती रहीं। बीच-बीच में जाने क्यों आज मुझे कृष्णा की बहुत याद आती रही। और पढ़ें शेयर करे close https://nayidhara.in/katha-dhara/krishna-aur-lari/ कॉपी करें