स्त्री देह का उत्सव मुसाफिर बैठा 9 January, 2015 भूमंडलीकरण के इस दौर में पश्चिम की तमाम उत्सवधर्मिता हम चाहे अचाहे कर रहे हैं आयातित अपने बुद्धि विवेक को ताखे पर रखकर भी और पढ़ें शेयर करे close https://nayidhara.in/kavya-dhara/मुसाफिर-बैठा-2/ कॉपी करें
बचपन की बारिश मुसाफिर बैठा 9 January, 2015 स्मृतियों में बचपन की बारिश का दखल अब भी बचा बसा है इतना सघन बरजोर कि भीग जाता है जब तब उसकी नर्म गुदगुदी से सारा तन मन और पढ़ें शेयर करे close https://nayidhara.in/kavya-dhara/मुसाफिर-बैठा/ कॉपी करें
हीरा भाई केदारनाथ सिंह 3 January, 2015 उन्हें कोई नहीं जानता पर कुछ समय पहले तक एक जीते जागते आदमी का नाम था- ‘हीरा भाई’ और पढ़ें शेयर करे close https://nayidhara.in/kavya-dhara/हीरा-भाई/ कॉपी करें
पाँव केदारनाथ सिंह 3 January, 2015 चलना उनकी भाषा है बैठना उनकी चुप्पी तुम्हें पता भी नहीं चलता जब तुम घर से बाहर रखते हो पाँव और पढ़ें शेयर करे close https://nayidhara.in/kavya-dhara/पाँव/ कॉपी करें
दो विपरीत दिशाओं में महेन्द्र महतो 1 January, 2015 एक समय की बात है दुख और व्याकरण की लड़ाई में दुख ने व्याकरण से कहा, ‘मेरा कोई व्याकरण नहीं होता।’ और पढ़ें शेयर करे close https://nayidhara.in/kavya-dhara/दो-विपरीत-दिशाओं-में/ कॉपी करें
कितना अतृप्त हूँ मैं महेन्द्र महतो 1 January, 2015 धरती, तुम माँगे, बिन माँगे मुझे वह सब कुछ देती हो जिसके बिना मैं चल नहीं सकता और पढ़ें शेयर करे close https://nayidhara.in/kavya-dhara/kitna-atript-hoon-main/ कॉपी करें