उलझी त्रिज्याएँ राय प्रभाकर प्रसाद 1 May, 1964 इस वृत्त की केंद्रस्थ भूमि डोल गई– सारी त्रिज्याएँ उलझ गई हैं ; और पढ़ें शेयर करे close https://nayidhara.in/kavya-dhara/ulajhi-trijyaen/ कॉपी करें
सूरज की करनी राय प्रभाकर प्रसाद 1 May, 1964 शाम के धुँधलके में शर्माया-सा सूरज रात से मिला था ; और पढ़ें शेयर करे close https://nayidhara.in/kavya-dhara/suraj-ki-karani/ कॉपी करें
सशब्द न हो पाये : राय प्रभाकर प्रसाद 1 May, 1964 गत वर्ष की ही भाँति इस वर्ष भी और पढ़ें शेयर करे close https://nayidhara.in/kavya-dhara/sashabd-na-ho-paye/ कॉपी करें
आज तनहाई में यादों के तले चंद्रेश्वर ‘नीरव’ 1 May, 1964 आज तनहाई में यादों के तले मैंने हासिल किये हैं ग़म के क़िले और पढ़ें शेयर करे close https://nayidhara.in/kavya-dhara/aaj-tanahai-mein-yadon-ke-niravtale/ कॉपी करें
गीत मुखर हों मैथिली वल्लभ ‘परिमल’ 1 May, 1964 मुझमें गीत मुखर हों जैसे मन का मीत पुकारे! सुधि अपनी जो टाँक-टाँक दे और पढ़ें शेयर करे close https://nayidhara.in/kavya-dhara/geet-mukhar-hon/ कॉपी करें
रात पिया जय घोष 1 May, 1964 चाँद– बड़ा जुलुम किया, रात पिया! और पढ़ें शेयर करे close https://nayidhara.in/kavya-dhara/rat-piya/ कॉपी करें