चार चिंताएँ ब्रजकिशोर ‘नारायण’ 1 February, 1952 जो दिल ही समुंदर लहर भावना हो कहो चाँद मेरे! रुकें ज्वार कैसे? जो तैराक को ही हो तिनका बनाए और पढ़ें शेयर करे close https://nayidhara.in/kavya-dhara/char-chintaen/ कॉपी करें
कली खिली कछार में राम अधार सिंह 1 February, 1952 कली खिली कछार में कुसुम दुलार माँगता। और पढ़ें शेयर करे close https://nayidhara.in/kavya-dhara/kali-khili-kachhar-mein/ कॉपी करें
एक निमिष सुमित्रा कुमारी सिन्हा 1 February, 1952 बड़े सवेरे रोज नींद से जब मैं आँख खोल जग जाती, नन्हीं चिड़िया एक सामने आ बातें करने लग जाती। और पढ़ें शेयर करे close https://nayidhara.in/kavya-dhara/ek-nimish/ कॉपी करें
जाड़े की धूप सुनहली श्यामनंदन ‘किशोर’ 1 February, 1952 बाट जोहते प्राण, तुम्हारी गई विरह की रात। दुख पर सुख की मधुर पुलक-सा और पढ़ें शेयर करे close https://nayidhara.in/kavya-dhara/jade-ki-dhoop-sunhali/ कॉपी करें
काम आरसी प्रसाद सिंह 1 January, 1952 जब तक मधुर-मधुर मलयानिल बन मन-वन में बहते हो और पढ़ें शेयर करे close https://nayidhara.in/kavya-dhara/kaam/ कॉपी करें
दिल में गई उदासी सूरत पे आ रही है ब्रजकिशोर ‘नारायण’ 1 January, 1952 दिल में गई उदासी सूरत पे आ रही है चंदा की चाँदनी से धरती नहा रही है! और पढ़ें शेयर करे close https://nayidhara.in/kavya-dhara/dil-main-gayi-udasi-surat-pe-aa-rahi-hai/ कॉपी करें