आई सरस बरसात वाली अविनाशचंद्र विद्यार्थी 1 October, 1951 जलन की ग्रीष्म गई, आई सरस बरसात वाली! और पढ़ें शेयर करे close https://nayidhara.in/kavya-dhara/aaee-saras-barasat-wali/ कॉपी करें
सच कहता हूँ शिवमूर्ति शिव 1 September, 1951 तुम्हारी याद के उल्लास से मैं गीत रचता हूँ और पढ़ें शेयर करे close https://nayidhara.in/kavya-dhara/sach-kahata-hoon/ कॉपी करें
भागो मत, दुनिया को बदलो! डॉ. सुधींद्र 1 September, 1951 मानव ही तो इस दुनिया का इतिहास बदलता आया है और पढ़ें शेयर करे close https://nayidhara.in/kavya-dhara/bhago-mat-duniya-ko-badalo/ कॉपी करें
आत्म-चेतना कामेश्वर सिंह ‘मस्त’ 1 September, 1951 कुछ भीख माँगने के पहले ओ दानी। रुककर अपनी जेबों को जरा टटोलो। और पढ़ें शेयर करे close https://nayidhara.in/kavya-dhara/aatm-chetna/ कॉपी करें
तुम आईं जितेंद्र कुमार 1 September, 1951 तुम आईं बज उठी हमारी वंशी प्राणों के मृदु स्वर में! और पढ़ें शेयर करे close https://nayidhara.in/kavya-dhara/tum-aaeen/ कॉपी करें
ओ बालिके कला की! गुलाब 1 September, 1951 मिट्टी का आँगन, मिट्टी का घर, मिट्टी की चाकी मिट्टी सनी कर्मरत करतलियाँ मेहदी से आँकी और पढ़ें शेयर करे close https://nayidhara.in/kavya-dhara/0-baalike-kalaa-ki/ कॉपी करें