नेहपाश अनुभूति 1 October, 2015 एकांत प्रहर में अकसर मेरे भीतर कला खदबदा तीस्वप्न कुलबुलाते नूतन कल्पनाएँ लेकर किसी श्वेत, मूक कागज़ कोकला रेखाओं से भरना और पढ़ें शेयर करे close https://nayidhara.in/kavya-dhara/nehpash-hindi-poem-by-anubhuti/ कॉपी करें
दर्द उधार दो अनुभूति 1 October, 2015 मुझे थोड़ादर्द उधार दोआँखें जो आज सूख चुकीं उनमें थोड़ी नमी चाहिए आत्मा जो चैन से सो रही उसे तड़प से तृप्त करो मन का सागर शांत पड़ा है और पढ़ें शेयर करे close https://nayidhara.in/kavya-dhara/dard-udhar-do-hindi-poem-by-anubhuti/ कॉपी करें
संजीवनी सविता मिश्र 1 October, 2015 कभी भीयाद आ जाती है रात भर जागती लालटेन किसी छुट्टी वाले दिन घर को सलीके से सँवारते वक्त मुलाकात हो जाती है अनायास ही और पढ़ें शेयर करे close https://nayidhara.in/kavya-dhara/sanjeevani-hindi-poem-by-savita-mishra/ कॉपी करें
खूशबू सविता मिश्र 1 October, 2015 बरसों बाद आज भी मेरी स्मृति में कौंध उठती हो तुम अपनी हँसीऔर सुवासित हथेलियों के साथ सर्दियों की धूप में और पढ़ें शेयर करे close https://nayidhara.in/kavya-dhara/khushboo-hindi-poem-by-savita-mishra/ कॉपी करें
लौट आओ राजकुमारी मिश्र 1 October, 2015 लौट आओ मेरे गुड्डू तुम चले गए कहाँ ! पथरा गई आँखें बाट जोहते-जोहते हुई कौन सी भूल हमसे तुम इस कदर रूठ गए दशरथ के राम भी वनवास गए थे और पढ़ें शेयर करे close https://nayidhara.in/kavya-dhara/laut-aao-hindi-poem-by-rajkumari-mishra/ कॉपी करें
चिट्ठियाँ सविता मिश्र 1 October, 2015 चिट्ठियाँ आने परहुलस उठता था मनघर का कोना-कोनादौड़-दौड़ कर आ बैठता था पिता के पासदीवारें सुनने लगती थीं कान लगा कर और पढ़ें शेयर करे close https://nayidhara.in/kavya-dhara/chitthiyan-hindi-poem-by-savita-mishra/ कॉपी करें