कैकेयी प्रभात 1 April, 1950 माइकल मधुसूदन ने ‘मेघनादवध’ काव्य की रचना करके कहा था–‘मेघनादे जयडालि : लक्ष्मणेर मुखे कालि!’ ‘प्रभातजी ने अपने ‘कैकेयी’ काव्य में कैकेयी का चित्रण उसी प्रकार एक विलक्षण ढंग से किया है। यहाँ कैकेयी का नैश चिंतन देखिए– और पढ़ें शेयर करे close https://nayidhara.in/kavya-dhara/hindi-poem-kaikayi-about-the-beauty-of-the-ayodhya-queen-by-poet-prabhat-nayi-dhara/ कॉपी करें