पुजारी ! विद्या 1 July, 1953 ओ पाषाण के पुजारी! तुम्हारा देवता पत्थर है। चिर-काल से तुम पत्थर को देवता मानकर और पढ़ें शेयर करे close https://nayidhara.in/kavya-dhara/pujari/ कॉपी करें
मेघ-गीत डॉ. विश्वनाथ प्रसाद 1 July, 1953 चले हैं भुवन की जलन हम मिटाने, मरण में अमर दिव्य जीवन जगाने। और पढ़ें शेयर करे close https://nayidhara.in/kavya-dhara/megh-geet-3/ कॉपी करें
अकेले का अभिसार मदन वात्स्यायन 1 July, 1953 ये गर्मी है या आफ़त! रात भर प्यास रहती है। और पढ़ें शेयर करे close https://nayidhara.in/kavya-dhara/akela-ka-abhisar/ कॉपी करें
एक तमिल लोक-कथा प्रभाकर माचवे 1 July, 1953 ‘शिव’ यानी अच्छाई। अच्छाई एकबार जम करके, जड़ीभूत होकर एक खंभा बनी। और पढ़ें शेयर करे close https://nayidhara.in/kavya-dhara/ek-tamil-lok-katha/ कॉपी करें
प्राची में रवि विहँस रहा अंकिमचंद 1 July, 1953 उठो साथियो ! निशीथ का अब हो चला विनाश और देखो व्योम में– रजनी कालिमा का अवशेष ! अब देख इधर– प्राची में रवि शोणित-सी-लाली लिए राष्ट्र के सोये हुए कुम्हलाए, शोषित-पीड़ित मानव को जगाने के लिए इस ओर संकेत करता आ रहा। और पढ़ें शेयर करे close https://nayidhara.in/kavya-dhara/prachi-mein-ravi-vihans-rha/ कॉपी करें
बरसो, प्रतिपल बरसो! दुर्गानाथ झा ‘श्रीश’ 1 June, 1953 बरसो, प्रतिपल बरसो! कण-कण पर क्षण-क्षण तुम और पढ़ें शेयर करे close https://nayidhara.in/kavya-dhara/barso-pratipal-barso/ कॉपी करें